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ग़द्दारे-क़ौम और वतन / सीमाब अकबराबादी
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08:49, 18 जनवरी 2009
कोई तुझ-सा भी बेग़ैरत ज़माने में कहाँ होगा?
भरे बाज़ार में तक़दीरे मिल्लत बेच दी तूने
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द्विजेन्द्र द्विज
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