Changes

आदमी हूँ / मोहन साहिल

3 bytes added, 02:09, 19 जनवरी 2009
"[[आदमी हूँ / मोहन साहिल]]" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop]
<poem>
जाने कब से मुट्ठियों में
बांधना बाँधना चाहता हूँ सुख
जो भिंचने से पहले ही
हाथ से नदारद हो जाता है
बहुत की है यात्रा मैंने
ठहरा हूं हूँ कई वर्ष एक जगह
बहाए हैं कितने ही आँसू
संजोए कितने अहसास
मन की अँधेरी गुफाओं तक से हो आया हूँ
जलने या दफन दफ़न होने का भय है
घावों की वेदना
फूलों के खिलने का सुख है
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,196
edits