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"वे लोग / मोहन साहिल" के अवतरणों में अंतर

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धनी होते ही समाप्त हो गई
 
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और उनकी मान्यताओं के बदलते ही
 
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ठहाकों में बदल गया उनका चीखना
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ठहाकों में बदल गया उनका चीख़ना
  
 
वे सब मेरे अपने
 
वे सब मेरे अपने

07:49, 19 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

वे केवल
धन की प्रतीक्षा में थे
उनका सारा विरोध
रोटी के पक्ष में
सारी लड़ाई
धनी होते ही समाप्त हो गई
और उनकी मान्यताओं के बदलते ही
ठहाकों में बदल गया उनका चीख़ना

वे सब मेरे अपने
जाने कब आ खड़े हुए मेरे सामने
मेरे प्रतिद्वंद्वी बनकर।