कवि:[[शमशेर बहादुर सिंह]]{{KKGlobal}}[[Catagory:कवितायें]]{{KKRachna[[Catagory:|रचनाकार = शमशेर बहादुर सिंह]]}}
*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=<poem>बात बोलेगी,<br> :हम नहीं।<br> भेद खोलेगी<br> :बात ही।<br>
सत्य का मुख<br>:झूठ की आँखें<br>:क्या-देखें!<br>
सत्य का रूख<br>रूख़:समय का रूख रूख़ हैः<br>अभय जनता को<br>:सत्य ही सुख है<br>:सत्य ही सुख।<br> दैन्य दानव ; काल भीषण ; क्रूर स्थिति ; कंगाल बुद्धि ; घर मजूर।सत्य मजूर। सत्य का :क्या रंग है?- पूछो :एक संग।एक संग।एक-जनता का :दुःख ः : एक। हवा में उड़ती पताकाएँ :अनेक। दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।कंगाल बुद्धिः मस्थिति।:कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।एक जनता का - अमर वर :एकता का स्वर।-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।</poem>