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पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री, <br>  
 
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23:00, 20 जनवरी 2009 का अवतरण

 एक काव्य मोती

पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री,
मैं चंद ख़्वाब ज़माने में छोड़ आया था|

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