Changes

सदस्य:Ktheleo

621 bytes added, 17:57, 6 फ़रवरी 2009
ज़ुबान से जो कही वो बात आम होती है,
ज़ुबान से जो कही वो बात आम होती है,
खास मसलों पे गुफ्तगू का अंदाज़ और है.
 
ज़ज़्बात में अल्फ़ाज़ की ज़रूरत ही कहाँ है,
 
गुफ्तगू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहाँ हूँ.
 
 
मैं कविता प्रेम के कारण ही यहाँ तक आ पहुँचा हूँ.
एक अत्यंत शुरुआती प्रयास के तहत एक ब्लॉग भी लिखता हूँ, पता है
 
http://www.sachmein.blogspot.com/
 
आप लोगो का सानिध्य मिला तो शायद कुछ सीख जाऊं, इसी आशासे प्रयासरत रहूँगा.
 
अनेक शुभकामनाओ सहित,
 
कुश
7
edits