Changes

मुझ से हंस के कहा इक बुरुंश फूल ने
अपनी चांदी की पायल मुझे दे गयी
मुझेसे मुझ से बातें करी जब नरम धूप ने ।
मैं लचकती चली, थकती, रुकती चली
Anonymous user