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"घर मेरा है? / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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क्या कहा कि यह घर मेरा है?
 
क्या कहा कि यह घर मेरा है?
 
 
जिसके रवि उगें जेलों में,
 
जिसके रवि उगें जेलों में,
 
 
संध्या होवे वीरानों मे,
 
संध्या होवे वीरानों मे,
 
 
उसके कानों में क्यों कहने
 
उसके कानों में क्यों कहने
 
 
आते हो? यह घर मेरा है?
 
आते हो? यह घर मेरा है?
 
  
 
है नील चंदोवा तना कि झूमर
 
है नील चंदोवा तना कि झूमर
 
 
झालर उसमें चमक रहे,
 
झालर उसमें चमक रहे,
 
 
क्यों घर की याद दिलाते हो,
 
क्यों घर की याद दिलाते हो,
 
 
तब सारा रैन-बसेरा है?
 
तब सारा रैन-बसेरा है?
 
 
जब चाँद मुझे नहलाता है,
 
जब चाँद मुझे नहलाता है,
 
 
सूरज रोशनी पिन्हाता है,
 
सूरज रोशनी पिन्हाता है,
 
 
क्यों दीपक लेकर कहते हो,
 
क्यों दीपक लेकर कहते हो,
 
 
यह तेरा दीपक लेकर कहते हो,
 
यह तेरा दीपक लेकर कहते हो,
 
 
यह तेरा है, यह मेरा है?
 
यह तेरा है, यह मेरा है?
 
  
 
ये आए बादल घूम उठे,
 
ये आए बादल घूम उठे,
 
 
ये हवा के झोंके झूम उठे,
 
ये हवा के झोंके झूम उठे,
 
 
बिजली की चमचम पर चढ़कर
 
बिजली की चमचम पर चढ़कर
 
 
गीले मोती भू चूम उठे;
 
गीले मोती भू चूम उठे;
 
 
फिर सनसनाट का ठाठ बना,
 
फिर सनसनाट का ठाठ बना,
 
 
आ गई हवा, कजली गाने,
 
आ गई हवा, कजली गाने,
 
 
आ गई रात, सौगात लिए,
 
आ गई रात, सौगात लिए,
 
 
ये गुलसबो मासूम उठे।
 
ये गुलसबो मासूम उठे।
 
 
इतने में कोयल बोल उठी,
 
इतने में कोयल बोल उठी,
 
 
अपनी तो दुनिया डोल उठी,
 
अपनी तो दुनिया डोल उठी,
 
 
यह अंधकार का तरल प्यार
 
यह अंधकार का तरल प्यार
 
 
सिसकें बन आयीं जब मलार;
 
सिसकें बन आयीं जब मलार;
 
 
मत घर की याद दिलाओ तुम
 
मत घर की याद दिलाओ तुम
 
 
अपना तो काला डेरा है।
 
अपना तो काला डेरा है।
 
  
 
कलरव, बरसात, हवा ठंडी,
 
कलरव, बरसात, हवा ठंडी,
 
 
मीठे दाने, खारे मोती,
 
मीठे दाने, खारे मोती,
 
 
सब कुछ ले, लौटाया न कभी,
 
सब कुछ ले, लौटाया न कभी,
 
 
घरवाला महज़ लुटेरा है।
 
घरवाला महज़ लुटेरा है।
  
 
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लो मुकुट हिमालय पहनाता
हो मुकुट हिमालय पहनाता
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सागर जिसके पद धुलवाता,
 
सागर जिसके पद धुलवाता,
 
 
यह बंधा बेड़ियों में मंदिर,
 
यह बंधा बेड़ियों में मंदिर,
 
 
मस्जिद, गुस्र्द्वारा मेरा है।
 
मस्जिद, गुस्र्द्वारा मेरा है।
 
 
क्या कहा कि यह घर मेरा है?
 
क्या कहा कि यह घर मेरा है?
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13:38, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण

क्या कहा कि यह घर मेरा है?
जिसके रवि उगें जेलों में,
संध्या होवे वीरानों मे,
उसके कानों में क्यों कहने
आते हो? यह घर मेरा है?

है नील चंदोवा तना कि झूमर
झालर उसमें चमक रहे,
क्यों घर की याद दिलाते हो,
तब सारा रैन-बसेरा है?
जब चाँद मुझे नहलाता है,
सूरज रोशनी पिन्हाता है,
क्यों दीपक लेकर कहते हो,
यह तेरा दीपक लेकर कहते हो,
यह तेरा है, यह मेरा है?

ये आए बादल घूम उठे,
ये हवा के झोंके झूम उठे,
बिजली की चमचम पर चढ़कर
गीले मोती भू चूम उठे;
फिर सनसनाट का ठाठ बना,
आ गई हवा, कजली गाने,
आ गई रात, सौगात लिए,
ये गुलसबो मासूम उठे।
इतने में कोयल बोल उठी,
अपनी तो दुनिया डोल उठी,
यह अंधकार का तरल प्यार
सिसकें बन आयीं जब मलार;
मत घर की याद दिलाओ तुम
अपना तो काला डेरा है।

कलरव, बरसात, हवा ठंडी,
मीठे दाने, खारे मोती,
सब कुछ ले, लौटाया न कभी,
घरवाला महज़ लुटेरा है।

लो मुकुट हिमालय पहनाता
सागर जिसके पद धुलवाता,
यह बंधा बेड़ियों में मंदिर,
मस्जिद, गुस्र्द्वारा मेरा है।
क्या कहा कि यह घर मेरा है?