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"वाह पाटलिपुत्र ! / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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क्षुब्ध गंगा की तरंगों के दुसह आघात...
 
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शोख पुरवइया हवा की थपकियों के स्पर्श...
 
शोख पुरवइया हवा की थपकियों के स्पर्श...
 
 
खा रही है किशोरों की लाश...
 
खा रही है किशोरों की लाश...
 
 
--हाय गांधी घाट !
 
--हाय गांधी घाट !
 
 
--हाय पाटलिपुत्र !
 
--हाय पाटलिपुत्र !
 
 
दियारा है सामने उस पार
 
दियारा है सामने उस पार
 
 
पीठ पीछे शहर है इस पार
 
पीठ पीछे शहर है इस पार
 
 
आज ही मैं निकल आया क्यों भला इस ओर ?
 
आज ही मैं निकल आया क्यों भला इस ओर ?
 
 
दे रहा है मात मति को
 
दे रहा है मात मति को
 
 
दॄश्य अति बीभत्स यह घनघोर ।
 
दॄश्य अति बीभत्स यह घनघोर ।
 
 
भागने को कर रही है बाध्य
 
भागने को कर रही है बाध्य
 
 
सड़ी-सूजी लाश की दुर्गन्ध
 
सड़ी-सूजी लाश की दुर्गन्ध
 
 
मर चुका है हवाखोरी का सहज उत्साह
 
मर चुका है हवाखोरी का सहज उत्साह
 
 
वह गंगा, वाह !
 
वह गंगा, वाह !
 
 
वाह पाटलिपुत्र !
 
वाह पाटलिपुत्र !
  
  
(1957 में रचित)
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'''(1957 में रचित)
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14:02, 10 मई 2009 के समय का अवतरण

क्षुब्ध गंगा की तरंगों के दुसह आघात...
शोख पुरवइया हवा की थपकियों के स्पर्श...
खा रही है किशोरों की लाश...
--हाय गांधी घाट !
--हाय पाटलिपुत्र !
दियारा है सामने उस पार
पीठ पीछे शहर है इस पार
आज ही मैं निकल आया क्यों भला इस ओर ?
दे रहा है मात मति को
दॄश्य अति बीभत्स यह घनघोर ।
भागने को कर रही है बाध्य
सड़ी-सूजी लाश की दुर्गन्ध
मर चुका है हवाखोरी का सहज उत्साह
वह गंगा, वाह !
वाह पाटलिपुत्र !


(1957 में रचित)