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"आगाज हो न पाया / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
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आगाज हो न पाया, अंजाम हो रहा है | आगाज हो न पाया, अंजाम हो रहा है | ||
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सिर पैर हो न जिसका, वह काम हो रहा है | सिर पैर हो न जिसका, वह काम हो रहा है | ||
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दो-चार बूँद पानी क्या ले लिया नदी से | दो-चार बूँद पानी क्या ले लिया नदी से | ||
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हर सिम्त समन्दर में कोहराम हो रहा है | हर सिम्त समन्दर में कोहराम हो रहा है | ||
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कुछ आम रास्तों की तकदीर बस सफर है | कुछ आम रास्तों की तकदीर बस सफर है | ||
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कुछ खास मंजिलों पर आराम हो रहा है | कुछ खास मंजिलों पर आराम हो रहा है | ||
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इस पार भी है गुलशन, उस पार भी चमन है | इस पार भी है गुलशन, उस पार भी चमन है | ||
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सामान किस शहर का, नीलाम हो रहा है | सामान किस शहर का, नीलाम हो रहा है | ||
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पाताल के अँधेरे, आकाश तक चढ़े हैं | पाताल के अँधेरे, आकाश तक चढ़े हैं | ||
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चन्दा उदास, सूरज नाकाम हो रहा है | चन्दा उदास, सूरज नाकाम हो रहा है | ||
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कुछ लोग आइने को झूठा बता रहे हैं | कुछ लोग आइने को झूठा बता रहे हैं | ||
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सच का हरेक साया, बदनाम हो रहा है | सच का हरेक साया, बदनाम हो रहा है | ||
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इस दौर में यही क्या कम है पराग साहब | इस दौर में यही क्या कम है पराग साहब | ||
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अपराधियों में अपना भी नाम हो रहा है | अपराधियों में अपना भी नाम हो रहा है | ||
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14:51, 10 मई 2009 का अवतरण
आगाज हो न पाया, अंजाम हो रहा है
सिर पैर हो न जिसका, वह काम हो रहा है
दो-चार बूँद पानी क्या ले लिया नदी से
हर सिम्त समन्दर में कोहराम हो रहा है
कुछ आम रास्तों की तकदीर बस सफर है
कुछ खास मंजिलों पर आराम हो रहा है
इस पार भी है गुलशन, उस पार भी चमन है
सामान किस शहर का, नीलाम हो रहा है
पाताल के अँधेरे, आकाश तक चढ़े हैं
चन्दा उदास, सूरज नाकाम हो रहा है
कुछ लोग आइने को झूठा बता रहे हैं
सच का हरेक साया, बदनाम हो रहा है
इस दौर में यही क्या कम है पराग साहब
अपराधियों में अपना भी नाम हो रहा है