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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[= राकेश खंडेलवाल]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:राकेश खंडेलवालगीत]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ 
धुंध में डूबी हुई एकाकियत बोझिल हुई है<br>
मैं किसी की याद की पल पल प्रतीक्षा कर रहा हूँ<br><br>
चेतना, अवचेतना के सिन्धु भी मैने खंगाले<br>
आईने पर जो जमी उस गर्द को कण कण बुहारा<br>
सब हटाये गर्भ-ग्रह गृह में जम गये थे जो भी जाले<br><br>
तीर पर भागीरथी के, आंजुरि में नीर भर कर<br>
एक चितकबरा है, दूजा इन्द्रधनु के रंग वाला<br>
जिन परों को डायरी में है रखा मैने संभाला<br>
हैं है उन्हें ये आस कोई उंगलियों का स्पर्श दे दे<br>
तो है संभव देख पायें फिर किसी दिन का उजाला<br><br>
उत्तरों की माल मुझको प्रश्न से पहले मिली है<br>
फिर न जाने किसलिये देते परीक्षा डर रहा हूँ<br><br>