भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक कदम / चंद्र कुमार जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[चंद्र कुमार जैन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:चंद्र कुमार जैन]]
+
|रचनाकार=चंद्र कुमार जैन
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
अंधेरा चाहे जितना घना हो<br>
 
अंधेरा चाहे जितना घना हो<br>
 
पहाड़ चाहे जितना तना हो<br>
 
पहाड़ चाहे जितना तना हो<br>

18:32, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

अंधेरा चाहे जितना घना हो
पहाड़ चाहे जितना तना हो
एक लौ यदि लग जाए
एक कदम यदि उठ जाए
कम हो जाता है अंधेरे का असर
झुक जाती है पहाड़ की भी नज़र
अंधेरा तो रौशनी की रहनुमायी है
पहाड़ तो प्रेम की परछाईं है
सच तो यह है -
धाराओं के विपरीत
जो जितनी भाक्ति से
खड़ा होता है
उस आदमी का व्यक्तित्व
एक दिन उतना ही बड़ा होता है !