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इन्दु मनो अरविन्द पै राजत इन्द्र बधून को बॄन्द बिछाय कै।
'''पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मलहोत्रा महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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