Changes

रहे असफल
उन्हें क्या ज्ञात है -
:::स्फोट में ही :::प्राण अपने :::जागते हैं।
दहकते चोले बसंती
और भी फुंकारती हैं।
:::अब कपालों का करेंगे :::खूब मोचन :::वेदियाँ हुँकारती हैं।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits