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[[Category:गज़ल]]
होती है तेरे नाम से वहशत <sup>1</sup> कभी -कभी<br>बरहम <sup>2</sup> हुई है यूँ भी तबीयत कभी -कभी<br><br>[वहशत = चिन्ता; बरहम = बैचेन]
ऐ दिल किसे नसीब ये तौफ़ीक़-ए-इज़्तिराब<br>
मिलती है ज़िन्दगी में ये राहत कभी -कभी<br><br>
तेरे करम से ऐ अलम-ए-हुस्न-ए-आफ़रीन<br>
दिल बन गया है दोस्त की ख़िल्वत कभी -कभी<br><br>
दिल को कहाँ नसीब ये तौफ़ीक़-ए-इज़्तिराब<br>
मिलती है ज़िन्दगी में ये राहत कभी -कभी<br><br>
जोश-ए-जुनूँ में दर्द की तुग़यानियों <sup>3</sup> के साथ<br>अश्कों में ढल गई तेरी सूरत कभी -कभी<br><br>[तुग़यानी = तूफ़ान]
तेरे क़रीब रह के भी दिल मुतमईन न था<br>
गुज़री है मुझ पे भी ये क़यामत कभी कभी<br><br>
[मुतमईन = संतुष्ठ]
कुछ अपना होश था तेरे क़रीब रह के भी दिल मुतमईन<sup>4</sup> तुम्हारा ख़यल था<br>यूँ गुज़री है मुझ पे भी गुज़र गई शब-एये क़यामत कभी-फ़ुर्क़त कभी कभी<br><br>[शब-ए-फ़ुर्क़त = जुदाई की रात]
 कुछ अपना होश था न तुम्हारा ख़याल था<br>यूँ भी गुज़र गई शब-ए-फ़ुर्क़त<sup>5</sup> कभी-कभी<br><br>  ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मुहब्बत <sup>6</sup> के बावजूद<br>महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी -कभी<br><br>[1. वहशत = चिन्ता; 2. बरहम = बैचेन; 3. तुग़यानी = तूफ़ान; 4. मुतमईन = संतुष्ट; 5. शब-ए-फ़ुर्क़त = जुदाई की रात6. तर्क-ए-मुहब्बत = प्यार का तर्क]
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