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"प्रकृति और हम / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर
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Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (प्रकृति और हम / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर प्रकृति और हम / अनातोली परपरा कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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18:15, 24 जून 2009 का अवतरण
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जब भी घायल होता है मन
प्रकृति रखती उस पर मलहम
पर उसे हम भूल जाते हैं
ध्यान कहाँ रख पाते हैं
उसकी नदियाँ, उसके सागर
उसके जंगल और पहाड़
सब हितसाधन करते हमारा
पर उसे दें हम उजाड़
योजना कभी बनाएँ भयानक
कभी सोच लें ऎसे काम
नष्ट करें कुदरत की रौनक
हम, जो उसकी ही सन्तान