लेखक: [[नईम]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:गीत]][[Category:|रचनाकार= नईम]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ }}नज़र लग गई है
शायद आशीष दुआओं को
भरने को भरते बैठे घट अब भी मंगल
नदियां सूख रही अंतस बाहर की सारी-
सूखा रोग लग गया शायद
सभी प्रथाओं को।