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"तुम्हारा प्यार / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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22:15, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
(एक पहाड़ी लोकगीत से प्रेरित)
तुम्हारा प्यार लड्डुओं का थाल है
जिसे मैं खा जाना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक लाल रूमाल है
जिसे मैं झंडे-सा फहराना चाहता हूँ
तुम्हारा प्यार एक पेड़ है
जिसकी हरी ओट से मैं तारॊं को देखता हूँ
तुम्हारा प्यार एक झील है
जहाँ मैं तैरता हूँ और डूब रहता हूँ
तुम्हारा प्यार पूरा गाँव है
जहाँ मैं होता हूँ ।
(रचनाकाल :1976)