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फुटकर शेर / फ़ानी बदायूनी
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11:01, 7 जुलाई 2009
किस ज़ाम में है ऐ रहरवेग़म!<ref>ग़म की राह पर चलने वाले</ref> धोके में न आना मंज़िल के।
यह राह बहुत कुछ छानी है, इस राह में मंज़िल कोई नहीं॥
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चंद्र मौलेश्वर
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