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|रचनाकार= आसी ग़ाज़ीपुरी
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<poem>
ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना।
 
मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥
 
रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को।
 
कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥
 
अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस।
 
जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥
 
तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा।
 
हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥
 
हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े।
 
तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥
</Poem>
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