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"स्त्री-पुरुष / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर
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बाघ बनकर जिसे डराता रहा | बाघ बनकर जिसे डराता रहा | ||
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वह एक दिन मेरे सामने इतनी बड़ी हो गई | वह एक दिन मेरे सामने इतनी बड़ी हो गई | ||
मैं हार गया | मैं हार गया | ||
तब मुझे लगा, मैं नरभक्षी हूँ | तब मुझे लगा, मैं नरभक्षी हूँ | ||
अपना ही माँस | अपना ही माँस | ||
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09:50, 20 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
मैं वर्षों तक
बाघ बनकर जिसे डराता रहा
वह एक दिन मेरे सामने इतनी बड़ी हो गई
मैं हार गया
तब मुझे लगा, मैं नरभक्षी हूँ
अपना ही माँस
सदियों से खाता रहा हूँ