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प्रकाश की दुनिया / किरण अग्रवाल
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07:32, 25 जुलाई 2009
वहाँ दूख नहीं है
वहाँ आनन्द है और बस आनन्द है
मेरे सामने खुला है
वार
द्वार
प्रकाश की दुनिया का
मैं जाती हूँ वहाँ
लेकिन लौट-लौट कर वापिस आती हूँ
अनिल जनविजय
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