भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम्हारा नाम / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(Added the Poem)
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
  
  
नंगी चट्न टा की इस रुखी कठोर छाती पर
+
नंगी चट्टान की इस रुखी कठोर छाती पर
  
 
तुम्हारा नाम
 
तुम्हारा नाम

08:36, 28 जुलाई 2009 का अवतरण

{KKGlobal}}


लिखा, मिटाया

फिर लिखा, फिर मिटाया,

पता नहीं कितनी बार


नंगी चट्टान की इस रुखी कठोर छाती पर

तुम्हारा नाम

वही नाम


जो हमारे बीच के स्वप्निल पलों के बीच पला,

संबंधों के गुलाबी दायरों के बीच दौड़ा

आंखो के जादू में समाया समाया,

आखिर एक दिन


किसी नाजुक से समय में मेरे होठों से फिसल पड़ा था,

और तुमने सदा-सदा के लिए उसे अपने लिए सहेज लिया था


वही नाम

जो आज तुम्हारे लिए है,

शायद इसलिए ही इतना प्यारा है