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गोरखनाथ / परिचय

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;ksxh{{KKRachnakaarParichay|रचनाकार=गोरखनाथ }}==परिचय==
बाबा गोरखनाथ महायोगी हैँ--८४ सिध्धोँ मेँ जिनकी गणना है, उनका जन्म सँभवत,
विक्रमकी पहली शती मेँ या कि, ९वीँ या ११ वीँ शताब्दि मेँ माना जाता है.
मेवाड के बापा रावल को गोरखनाथ ने एक तलवार भेँट की थी जिसके बल से ही जीत कर, चितौड राज्य की स्थापना हुई थी
 
मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य तथा हठयोग के आचार्य गोरखनाथ मध्ययुग के एक विशिष्ट महापुरुष थे। इनके उपदेशों में योग और शैव तंत्रों का सामंजस्य है। गोरखनाथ की लिखी गद्य-पद्य की 40 छोटी-मोटी रचनाओं का परिचय प्राप्त है। इनमें सबदी, पद, प्राण, संकली, नरवैबोध आदि 13 ग्रंथों का एकत्र प्रकाशन डॉ. पीताम्बरदत्त बडथ्वाल ने 'गोरख बानी नाम से किया है। इनकी हठयोग साधना ईश्वरवाद को लेकर चली थी, अत: सूफियों की भाँति इनकी ओर मुसलमान भी आकर्षित हुए।
==पुस्तक==
कायागढ भीतर देव देहुरा कासी, सहज सुभाइ मिले अवनासी !
बदन्त गोरखनाथ सुणौ,नर लोइ, कायागढ जीतेगा बिरला नर कोई !
 
 
 
सँकलन कर्ता : VINEET NEGI