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|संग्रह=
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर
पर दिल की जान लेते हैं दिलबर कहे बग़ैर
खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर<br> पर मैं क्यूँकर कहूँ तुम आओ कि दिल की जान लेते हैं दिलबर कशिश से वोआयेँगे दौड़े आप मेरे घर कहे बग़ैर <br><br>
मैं क्यूँकर कहूँ तुम आओ क्या ताब क्या मजाल हमारी कि दिल की कशिश से वो<br>बोसा लें आयेँगे दौड़े आप मेरे घर लब को तुम्हारे लब से मिलाकर कहे बग़ैर <br><br>
क्या ताब क्या मजाल हमारी कि बोसा लें <br>बेदर्द तू सुने न सुने लेकिन ये दर्द-ए-दिल लब को तुम्हारे लब से मिलाकर रहता नहीं है आशिक़-ए-मुज़तर कहे बग़ैर <br><br>
बेदर्द तू सुने ना सुने लेकिन ये दर्द-ए-दिल <br>रहता नहीं है आशिक़-ए-मुज़तर कहे बग़ैर <br><br> तकदीर के सिवा नहीं मिलता कहीं से भी <br>
दिलवाता ऐ "ज़फ़र" है मुक़द्दर कहे बग़ैर
<poem>
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