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"यातना / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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कोई यातना । | कोई यातना । | ||
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14:56, 16 अगस्त 2009 का अवतरण
बुझती हुई सिगरेट
देर तक दबी रहे उंगलियों में
तो जला डालती है
स्पर्श की संवेदना
मृत शरीर
कितने ही प्रिय व्यक्ति का क्यों न हो
बदबू देने लगता है
थोड़े समय बाद
किसी टूटे हुए रिश्ते को
अन्तिम साँस तक संभाल कर
जीने की चाह से
बड़ी नहीं होती
कोई यातना ।