भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एल्सा की आँखें / आरागों" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
  
 
<poem>
 
<poem>
 
'''एल्सा की आँखें'''
 
 
 
इन तेरी गहरी आँखों में मैं प्यास बुझाने आया हूँ
 
इन तेरी गहरी आँखों में मैं प्यास बुझाने आया हूँ
 
इनमें आए हैं निखिल सूर्य झिलमिल करने
 
इनमें आए हैं निखिल सूर्य झिलमिल करने

21:47, 19 अगस्त 2009 का अवतरण


इन तेरी गहरी आँखों में मैं प्यास बुझाने आया हूँ
इनमें आए हैं निखिल सूर्य झिलमिल करने
आए हताश जन सकल तीर इनके मरने
इन तेरी गहरी आँखों में मैं अपनापन खो आया हूँ

व्यर्थ ही रोम में बह-बह कर नीलिमा पवन करता उजली
इससे तो निर्मल आँखें जिनसे अश्रु झरें
वर्षा से धुले गगन को भी ईर्ष्यालु करें
काँच की कोर नीलाभ नहीं जितनी तेरी नीली पुतली

Triolet.jpg
                        एल्सा त्रिओले

एक ही गान में समा जाए फागुन की व्यथा कथा गहरी
अनकहा अनगिनत तारों का दुख रह जाए
विस्तीर्ण गगन का सूर्य भी न वह कह पाए
सब कुछ कहती है तेरी दो आँखों की चमक रहस्य भरी

यह देख रहा शिशु ठगा हुआ सुषमा सुन्दर आतंक भूल
वह तेरी आँखों में अपलक उत्सुक अवाक्
तू बड़ी-बड़ी आँखों से उसको रही ताक
क्या जानूँ क्यों, पर कहते हैं झर रहे आज जंगली फूल

विश्व के विकल होने की थी वह घड़ी सृष्टि की संध्या की
तट की चट्टानों पर जलते ध्वंसावशेष
सागर के पार चमकती थीं तब निर्निमेष
एल्सा की आँखें, एल्सा की आँखें, ये आँखे एल्सा की।
 

मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी

इस कविता के अनुवाद में कवि रघुवीर सहाय ने बड़ी सहायता की।