भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इतिहास की आशा / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=आखर अनंत / विश्व...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | युद्ध के | + | युद्ध के बाद |
पद्मिनी की जगह | पद्मिनी की जगह | ||
मिलती है मुट्ठी भर राख | मिलती है मुट्ठी भर राख | ||
− | + | सिकन्दर को जाना पड़ता है खाली हाथ | |
विलाप करना पड़ता है प्रभु को | विलाप करना पड़ता है प्रभु को | ||
अपने ही कोटि-कोटि शवों पर | अपने ही कोटि-कोटि शवों पर |
16:02, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
युद्ध के बाद
पद्मिनी की जगह
मिलती है मुट्ठी भर राख
सिकन्दर को जाना पड़ता है खाली हाथ
विलाप करना पड़ता है प्रभु को
अपने ही कोटि-कोटि शवों पर
पापों के हिम में गलना पड़ता है
महासमर के अजेय योद्धाओं को
निराशा की कविता नहीं है यह
इतिहास की आशा है
आने वाले विजेताओं से।