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Kavita Kosh से
::निबिड़ अन्धकार में।
कगारों पर पडए पड़े हैं कटे हुए परिन्दों के अनगिनत पंख
और उन पगचिन्हों के निशान
जो शान्ति की खोज में निर्वासित घूमते रहे।