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|रचनाकार=अंशु मालवीय नचिकेता
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<poem>
नजर नज़र मौसम की
हवाओं की चाल पर है
नजर नज़र मौसम की
कहां कहाँ तीखा घामबरखा कहां कहाँ होनी है
किस जगह के चेहरे की
मैल धोनी है
कहां गूंजेगीकहाँ गूँजेगी
ध्वनि अविराम सरगम की
नापनी है चाल धड़कन की
उछालों की
भोर की आंखेंआँखें
उमंगों से भरी चमकी