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"दिल अगर फूल सा नहीं होता / जगदीश रावतानी आनंदम" के अवतरणों में अंतर
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− | दिल अगर फूल सा | + | दिल अगर फूल सा नहीं होता |
− | + | यूँ किसी ने छला नहीं होता | |
था ये बेहतर कि कत्ल कर देती | था ये बेहतर कि कत्ल कर देती | ||
− | रोते रोते मरा | + | रोते रोते मरा नहीं होता |
− | दिल में रहते है | + | दिल में रहते है दिलरुबाओं के |
− | + | आशिकों का पता नहीं होता | |
− | ज़िन्दगी ज़िन्दगी | + | ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं तब तक |
− | इश्क जब तक हुआ | + | इश्क जब तक हुआ नहीं होता |
पाप की गठरी हो गई भारी | पाप की गठरी हो गई भारी | ||
− | वरना इतना थका | + | वरना इतना थका नहीं होता |
होश में रह के ज़िन्दगी जीता | होश में रह के ज़िन्दगी जीता | ||
− | तो | + | तो यूँ रुसवा हुआ नही होता |
जुर्म हालात करवा देते है | जुर्म हालात करवा देते है | ||
− | आदमी तो बुरा | + | आदमी तो बुरा नहीं होता |
− | ख़ुद से उल्फत जो कर | + | ख़ुद से उल्फत जो कर नहीं सकता |
− | वो किसी का सगा | + | वो किसी का सगा नहीं होता |
क्यों ये दैरो हरम कभी गिरते | क्यों ये दैरो हरम कभी गिरते | ||
आदमी ग़र गिरा नहीं होता | आदमी ग़र गिरा नहीं होता | ||
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20:20, 26 अगस्त 2009 का अवतरण
दिल अगर फूल सा नहीं होता
यूँ किसी ने छला नहीं होता
था ये बेहतर कि कत्ल कर देती
रोते रोते मरा नहीं होता
दिल में रहते है दिलरुबाओं के
आशिकों का पता नहीं होता
ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं तब तक
इश्क जब तक हुआ नहीं होता
पाप की गठरी हो गई भारी
वरना इतना थका नहीं होता
होश में रह के ज़िन्दगी जीता
तो यूँ रुसवा हुआ नही होता
जुर्म हालात करवा देते है
आदमी तो बुरा नहीं होता
ख़ुद से उल्फत जो कर नहीं सकता
वो किसी का सगा नहीं होता
क्यों ये दैरो हरम कभी गिरते
आदमी ग़र गिरा नहीं होता