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|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान
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वह देखो माँ आज
गुड़िया भी है बहुत भली-सी
छोटा-सा 'टी सेट' है
तुम कह दोगी वन जाने को
हँसते-हँते हँसते जाऊँगा।
पर माँ, बिना तुम्हारे वन में
किससे लूँगा पैसे, रूठूँगा
तो कौन मला मना लेगा
कौन प्यार से बिठा गोद में
मनचाही चींजे़ देगा।
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