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"विपर्यय / मनोज कुमार झा" के अवतरणों में अंतर

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बना घोड़ा
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बच्चे बैठें
 
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करें खिलखिल
 
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खिले सरसों
 
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मन हरा हो
 
मन हरा हो
 
 
पर ये खट खट
 
पर ये खट खट
 
 
किसके जूते
 
किसके जूते
 
 
कौन सिर पे मूतता है
 
कौन सिर पे मूतता है
 
 
हे प्रभो, तूं सूतता है।
 
हे प्रभो, तूं सूतता है।
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22:51, 4 सितम्बर 2009 का अवतरण


रीढ़ मोड़ी
घुटने टेके
बना घोड़ा
बच्चे बैठें
करें खिलखिल
खिले सरसों
मन हरा हो
पर ये खट खट
किसके जूते
कौन सिर पे मूतता है
हे प्रभो, तूं सूतता है।