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02:16, 15 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

अन्धे कहार
Andhe kahar.jpg
रचनाकार अवतार एनगिल
प्रकाशक पराग प्रकाशन,3,114,कर्ण गली,विश्वासनगर,शहादरा,दिल्ली-32,
वर्ष प्रथम संस्करण-1991
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 94
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

अन्धे कहार

रानी जी की डोली उठा
अन्धे कहार चले

सिन्दबाद

हे यात्री
भूलना मत
कि यात्रा के पहले चरण में
तुम भी रामायण थे

आ गया मनखान

मैंने कहा था
मुझको तो आना है
फिर-फिर आना है
...
तो लो
आता हूं मैं
लेकर अपनी कथा