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क्या बताऊँ दरम्यां अब / माधव कौशिक
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04:24, 15 सितम्बर 2009
|संग्रह=अंगारों पर नंगे पाँव / माधव कौशिक
}}
<poem>क्या बताऊँ दरम्यां अब फासला कोई नहीं।
सामने मंज़िल है लेकिन रास्ता कोई नहीं।
प्रकाश बादल
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