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"मैं यायावर / राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'" के अवतरणों में अंतर

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चलते–चलते पीछे छूटे
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कितने युग कितने संवत्सर
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यह यात्रा थी अंतस्तल में
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अंतर में जलता लाक्षागृह
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सिर पर सूरज का तेज़ प्रखर
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अभिलाषाओं का नंदन वन
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बाहर–बाहर खजुराहो थे
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थे गर्भगुहा में 'शिव शंकर'
 
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18:56, 15 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

मैं एक भटकता यायावर
अपने काँधों पर अपना घर

खाई खंदक राहों बाटों
जंगल पर्वत औ' घट घाटों
चलते–चलते पीछे छूटे
कितने युग कितने संवत्सर

यह यात्रा थी अंतस्तल में
ज्यों कस्तूरी मृग मरुथल में
अंतर में जलता लाक्षागृह
सिर पर सूरज का तेज़ प्रखर

अभिलाषाओं का नंदन वन
या गहन निराशा का कानन
बाहर–बाहर खजुराहो थे
थे गर्भगुहा में 'शिव शंकर'