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ऐसे मैं मन बहलाता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
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07:50, 11 दिसम्बर 2007
सोचा करता बैठ अकेले,<br>
गत जीवन के सुख-दुख झेले,<br>
दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले
सलाता
सहलाता
हूँ!<br>
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!<br><br>
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