Changes

विरह-गान / अनिल जनविजय

26 bytes added, 15:16, 22 सितम्बर 2009
|रचनाकार=अनिल जनविजय
}}
{{KKCatKavita‎}}<Poem>('''कवि उदय प्रकाश के लिए)'''
दुख भरी तेरी कथा
 
तेरे जीवन की व्यथा
 
सुनने को तैयार हूँ
 
मैं भी बेकरार हूँ
 
बरसों से तुझ से मिला नहीं
 
सूखा ठूँठ खड़ा हूँ मैं
 
एक पत्ता भी खिला नहीं
 
तू मेरा जीवन-जल था
 
रीढ़ मेरी, मेरा संबल था
 
अब तुझ से दूर पड़ा हूँ मैं
(2004 में रचित)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,438
edits