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"काली मिट्टी/ केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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काली मिट्टी काले घर
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दिन भर बैठे-ठाले घर
  
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काली नदिया काला धन
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सूख रहे हैं सारे  बन
  
काली  मिट्टी  काले घर
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काला सूरज काले हाथ
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झुके हुए हैं सारे माथ
  
दिन  भर  बैठे-ठाले  घर
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काली बहसें काला न्याय
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ख़ाली मेज़ पी रही चाय
  
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काले अक्षर काली रात
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कौन करे अब किससे बात
  
काली नदिया  काला धन
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काली जनता काला क्रोध
 
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काला-काला है युगबोध
सूख  रहे  हैं  सारे  बन
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काला - काला है   युगबोध
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('अकाल में सारस'नामक कविता-संग्रह से)
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13:58, 25 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण


काली मिट्टी काले घर
दिन भर बैठे-ठाले घर

काली नदिया काला धन
सूख रहे हैं सारे बन

काला सूरज काले हाथ
झुके हुए हैं सारे माथ

काली बहसें काला न्याय
ख़ाली मेज़ पी रही चाय

काले अक्षर काली रात
कौन करे अब किससे बात

काली जनता काला क्रोध
काला-काला है युगबोध