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"रक्त में खिला हुआ कमल/ केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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14:07, 25 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरी हड्डियाँ
मेरी देह में छिपी बिजलियाँ हैं
मेरी देह
मेरे रक्त में खिला हुआ कमल
क्या आप विश्वास करेंगे
यह एक दिन अचानक
मुझे पता चला
जब मैं तुलसीदास को पढ़ रहा था