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जब राजा मरा | जब राजा मरा | ||
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सोने की एक बहुत बड़ी अर्थी बनाई गई | सोने की एक बहुत बड़ी अर्थी बनाई गई | ||
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जिस पर रखा गया उस का शव | जिस पर रखा गया उस का शव | ||
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शानदार शव जिसे देखकर | शानदार शव जिसे देखकर | ||
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कोई कह नहीं सकता | कोई कह नहीं सकता | ||
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कि वह राजा नहीं है | कि वह राजा नहीं है | ||
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सबसे पहले मन्त्री आया | सबसे पहले मन्त्री आया | ||
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और शव के सामने | और शव के सामने | ||
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झुककर खड़ा हो गया | झुककर खड़ा हो गया | ||
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फिर पुरोहित आया | फिर पुरोहित आया | ||
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और न जाने क्या | और न जाने क्या | ||
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कुछ देर तक होठों में बुदबुदाता रहा | कुछ देर तक होठों में बुदबुदाता रहा | ||
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फिर हाथी आया | फिर हाथी आया | ||
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शव के प्रति सम्मान प्रकट किया | शव के प्रति सम्मान प्रकट किया | ||
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फिर घोड़े आये नीले-पीले | फिर घोड़े आये नीले-पीले | ||
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जो माहौल की गम्भीरता को देखकर | जो माहौल की गम्भीरता को देखकर | ||
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तय नहीं कर पाए | तय नहीं कर पाए | ||
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कि उन्हें हिनहिनाना चाहिए या नहीं | कि उन्हें हिनहिनाना चाहिए या नहीं | ||
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फिर धीरे-धीरे | फिर धीरे-धीरे | ||
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बढ़ई | बढ़ई | ||
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धोबी | धोबी | ||
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नाई | नाई | ||
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कुम्हार-- सब आए | कुम्हार-- सब आए | ||
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और सब खड़े हो गए | और सब खड़े हो गए | ||
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विशाल चमचमाती हुई अर्थी को घेरकर | विशाल चमचमाती हुई अर्थी को घेरकर | ||
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अर्थी के आसपास | अर्थी के आसपास | ||
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एक अजब-सा दुख था | एक अजब-सा दुख था | ||
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जिसमें सब दुखी थे | जिसमें सब दुखी थे | ||
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मन्त्री दुखी था | मन्त्री दुखी था | ||
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क्योंकि हाथी दुखी था | क्योंकि हाथी दुखी था | ||
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हाथी दुखी था | हाथी दुखी था | ||
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क्योंकि घोड़े दुखी थे | क्योंकि घोड़े दुखी थे | ||
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घोड़े दुखी थे | घोड़े दुखी थे | ||
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क्योंकि घास दुखी थी | क्योंकि घास दुखी थी | ||
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घास दुखी थी | घास दुखी थी | ||
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क्योंकि बढ़ई दुखी था... | क्योंकि बढ़ई दुखी था... | ||
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14:09, 25 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब राजा मरा
सोने की एक बहुत बड़ी अर्थी बनाई गई
जिस पर रखा गया उस का शव
शानदार शव जिसे देखकर
कोई कह नहीं सकता
कि वह राजा नहीं है
सबसे पहले मन्त्री आया
और शव के सामने
झुककर खड़ा हो गया
फिर पुरोहित आया
और न जाने क्या
कुछ देर तक होठों में बुदबुदाता रहा
फिर हाथी आया
और उसने सूँड उठाकर
शव के प्रति सम्मान प्रकट किया
फिर घोड़े आये नीले-पीले
जो माहौल की गम्भीरता को देखकर
तय नहीं कर पाए
कि उन्हें हिनहिनाना चाहिए या नहीं
फिर धीरे-धीरे
बढ़ई
धोबी
नाई
कुम्हार-- सब आए
और सब खड़े हो गए
विशाल चमचमाती हुई अर्थी को घेरकर
अर्थी के आसपास
एक अजब-सा दुख था
जिसमें सब दुखी थे
मन्त्री दुखी था
क्योंकि हाथी दुखी था
हाथी दुखी था
क्योंकि घोड़े दुखी थे
घोड़े दुखी थे
क्योंकि घास दुखी थी
घास दुखी थी
क्योंकि बढ़ई दुखी था...