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"कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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भटका हुआ संसार में,
 
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अकुशल जगत व्‍यवहार में,
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अकुशल जगत व्यवहार में,
  
असफल सभी व्‍यापार में, कितना अकेला आज मैं!
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असफल सभी व्यापार में, कितना अकेला आज मैं!
  
 
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खोया सभी विश्‍वास है,
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भूला सभी उल्‍लास है,
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कुछ खोजती हर साँस है, कितना अकेला आज मैं!
 
कुछ खोजती हर साँस है, कितना अकेला आज मैं!
  
 
कितना अकेला आज मैं!
 
कितना अकेला आज मैं!

02:57, 30 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

कितना अकेला आज मैं!


संघर्ष में टूटा हुआ,

दुर्भाग्य से लूटा हुआ,

परिवार से छूटा हुआ, कितना अकेला आज मैं!

कितना अकेला आज मैं!


भटका हुआ संसार में,

अकुशल जगत व्यवहार में,

असफल सभी व्यापार में, कितना अकेला आज मैं!

कितना अकेला आज मैं!


खोया सभी विश्वास है,

भूला सभी उल्लास है,

कुछ खोजती हर साँस है, कितना अकेला आज मैं!

कितना अकेला आज मैं!