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"अश्रु-नीर / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर !<br>
 
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दुख से आविल सुख से पंकिल<br>
 
दुख से आविल सुख से पंकिल<br>

11:44, 2 अक्टूबर 2009 का अवतरण

प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर !
दुख से आविल सुख से पंकिल
बुद्बुद से स्वप्नों से फेनिल,
बहता है युग युग से अधीर
जीवन-पथ का दुर्गमतम तल,
अपनी गति से कर सजल सरल,
शीतल करता युग तृषित तीर !
इसमें उपजा यह नीरज सित,
कोमल-कोमल लज्जित मीलित;
सौरभ-सी लेकर मधुर पीर !

इसमें न पंक का चिह्न शेष,
इसमें न ठहरता सलिल-लेश,
इसको न जगाती मधुप-भीर !

तेरे करुणा-कण से विलसित,
हो तेरी चितवन से विकसित,
छू तेरी श्वासों का समीर !