Changes

कवि: [[माखनलाल चतुर्वेदी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी]] |संग्रह= }}~*~*~*~*~*~*~*~ {{KKCatKavita}}<poem>
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया
 
कुछ नीले कुछ श्वेत गगन पर
 
हरे-हरे घन श्यामल वन पर
 
द्रुत असीम उद्दण्ड पवन पर
 
चुम्बन आज पवित्र बन गया,
 
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
 
तुम आए, बोले, तुम खेले
 
दिवस-रात्रि बांहों पर झेले
 
साँसों में तूफान सकेले
 
जो ऊगा वह मित्र बन गया,
 
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
 
ये टिमटिम-पंथी ये तारे
 
पहरन मोती जड़े तुम्हारे
 
विस्तृत! तुम जीते हम हारे!
 
चाँद साथ सौमित्र बन गया।
 
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits