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"लड्डू ले लो / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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ले लो दो आने के चार
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लड्डू राज गिरे के यार
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यह हैं धरती जैसे गोल
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ढुलक पड़ेंगे गोल मटोल
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इनके मीठे स्वादों में ही
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बन आता है इनका मोल
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दामों का मत करो विचार
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ले लो दो आने के चार।
  
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लोगे खूब मज़ा लायेंगे
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हँसी खुशी से सब खायेंगे
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इनमें बाबू जी का प्यार
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ले लो दो आने के चार।
  
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कुछ देरी से आया हूँ मैं
लड्डू राज गिरे के यार<br>
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माल बना कर लाया हूँ मैं
यह हैं धरती जैसे गोल<br>
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मौसी की नज़रें इन पर हैं
ढुलक पड़ेंगे गोल मटोल<br>
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फूफा पूछ रहे क्या दर है
इनके मीठे स्वादों में ही<br>
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जल्द खरीदो लुटा बजार
बन आता है इनका मोल<br>
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ले लो दो आने के चार।
दामों का मत करो विचार<br>
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लोगे खूब मज़ा लायेंगे<br>
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ना लोगे तो ललचायेंगे<br>
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मुन्नी, लल्लू, अरुण, अशोक<br>
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हँसी खुशी से सब खायेंगे<br>
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इनमें बाबू जी का प्यार<br>
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ले लो दो आने के चार।<br>
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कुछ देरी से आया हूँ मैं<br>
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माल बना कर लाया हूँ मैं<br>
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मौसी की नज़रें इन पर हैं<br>
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फूफा पूँछ रहे क्या दर है<br>
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जल्द खरीदो लुटा बजार<br>
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ले लो दो आने के चार।<br><br>
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10:39, 6 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

ले लो दो आने के चार
लड्डू राज गिरे के यार
यह हैं धरती जैसे गोल
ढुलक पड़ेंगे गोल मटोल
इनके मीठे स्वादों में ही
बन आता है इनका मोल
दामों का मत करो विचार
ले लो दो आने के चार।

लोगे खूब मज़ा लायेंगे
ना लोगे तो ललचायेंगे
मुन्नी, लल्लू, अरुण, अशोक
हँसी खुशी से सब खायेंगे
इनमें बाबू जी का प्यार
ले लो दो आने के चार।

कुछ देरी से आया हूँ मैं
माल बना कर लाया हूँ मैं
मौसी की नज़रें इन पर हैं
फूफा पूछ रहे क्या दर है
जल्द खरीदो लुटा बजार
ले लो दो आने के चार।