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"चींटी / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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− | गाय चराती, धूप खिलाती, | + | गाय चराती, धूप खिलाती, |
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− | दल के दल सेना संवारती, | + | दल के दल सेना संवारती, |
− | घर-आँगन, जनपथ बुहारती। | + | घर-आँगन, जनपथ बुहारती। |
− | चींटी है प्राणी सामाजिक, | + | चींटी है प्राणी सामाजिक, |
− | वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक। | + | वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक। |
− | देखा चींटी को? | + | देखा चींटी को? |
− | उसके जी को? | + | उसके जी को? |
− | भूरे बालों की सी कतरन, | + | भूरे बालों की सी कतरन, |
− | छुपा नहीं उसका छोटापन, | + | छुपा नहीं उसका छोटापन, |
− | वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर | + | वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर |
− | विचरण करती, श्रम में तन्मय | + | विचरण करती, श्रम में तन्मय |
− | वह जीवन की तिनगी अक्षय। | + | वह जीवन की तिनगी अक्षय। |
− | वह भी क्या देही है, तिल-सी? | + | वह भी क्या देही है, तिल-सी? |
− | प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी। | + | प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी। |
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− | अथक कार्य से कभी न टलती। < | + | अथक कार्य से कभी न टलती। |
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00:49, 13 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।
गाय चराती, धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना संवारती,
घर-आँगन, जनपथ बुहारती।
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।
देखा चींटी को?
उसके जी को?
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर
विचरण करती, श्रम में तन्मय
वह जीवन की तिनगी अक्षय।
वह भी क्या देही है, तिल-सी?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी।
दिनभर में वह मीलों चलती,
अथक कार्य से कभी न टलती।