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गर्म लोहा / हरिवंशराय बच्चन
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08:05, 14 अक्टूबर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>गर्म लोहा पीट, ठंडा पीटने को वक्त बहुतेरा पड़ा है।
सख्त पंजा, नस कसी चौड़ी कलाई
और बल्लेदार बाहें,
Shrddha
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