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उल्लास / सुभद्राकुमारी चौहान
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10:29, 18 अक्टूबर 2009
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|रचनाकार=सुभद्राकुमारी चौहान
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शैशव के सुन्दर प्रभात का
मैंने नव विकास देखा।
नहीं अशान्ति हृदय तक अपनी
भीषणता लाने पायी।।
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