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{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=अनामिका अपरा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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<poem>
जैसे हम हैं वैसे ही रहें,
देख रहा है जग को निर्भय,
दोनों उसकी दृढ़ लहरें सहें।
</poem>
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