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यह संसार सभी बदला है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
।रचनाकाल
|संग्रह
=
15 दिसम्बर, 1952
आराधना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavita}}
खोले कोंपल, फले फूलकर
तरु-तल वैसा नहीं कुआँ है।
रचनाकाल=15 दिसम्बर, 1952
</poem>
Shrddha
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